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प्रदेश के बदलते हालात !!
बदले बदले से सरकार नजर आते हैं
कुछ भी सही सुधरे हालात नजर आते हैं !
जैसे ही उ. प्र. के राजनीतिक मिजाज ने करवट बदली और योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली तो कल तक तत्कालीन राजनीतिक कथित नेताओं की महिमा मंडन करने वाली राज्य की पुलिस ने मात्र मुख्य मंत्री एवं सत्ताधारी दल की घोषणाओं मात्र पर ही, एंटी रोमियो दल का गठन, अवैध बूचणखानों पर सील की कार्यवाही कर कार्य करना प्रारंभ कर दिया हैं । कल तक सरे आम हाईवे पर महिलाओं की लाज बचाने में नाकामयाब और दुधारू एवं एक धर्म के आस्थावान पशुधन के कत्ल करने वालों को संरक्षण देकर बूचखड खानों से अवैध वसूली का आरोप झेलनी वाली पुलिस आज अति संवेदनशील होकर अति कर्मठता का संदेश देती नजर आ रही हैं, और तो और सफाई करते हुए झाडूओं के साथ । इस सबको क्या कहा जाये ? परिवर्तन संसार का नियम हैं ।
परिवर्तन का प्रभाव, पुलिस का बदला स्वभाव या जो कुछ भी समझिये । क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी एंटी रोमियो अभियान के विरुद्ध दायर याचिका को खारिज करके इस पर संवैधानिक काररवाई की भी मोहर लगा दी हैं । लेकिन
स्वच्छता अभियान तो भारत सरकार में मोदी युग से ही देश के अंदर गति पकड चूका था किन्तु उ. प्र. में केन्द्र से भिन्न राजनीतिक दल की पूर्ववर्ती सरकार के चलते मानव जीवन और स्वस्थ समाज के लिए आवश्यक होने के बावजूद राज्य सरकार के सभी विभाग राजनीतिक कारणों से इन मानवीय यज्ञों से दूर थे । इसे भारतीय संविधान के संघीय ढांचे के कारण राज्यों को प्रदत्त शक्तियों से दृष्टिगत भी देखना अनुचित नहीं होगा और अब इस यज्ञ में राज्य के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ-साथ सभी विभागों और पुलिस थानों में सभी वरिष्ठ अधिकारी अपने हाथों में मोदी और योगी नाम की आहुति के साथ झाडू थामें सफाई करते नजर आ रहे हैं । ये और बात है कि इस अभियान से वास्तव में राज्य से कितनी गंदगी दूर हो पायेगी ये कहना अभी दूर की कोडी होगी ।
बात सिर्फ युवतियों के साथ छेडछाड करने वाले रोमियों के विरुद्ध अभियान चलाने की हुई थी परंतु राज्य की पुलिस अपनी अति कर्मठता के अतिरेक से ग्रस्त होने के कारण होटलों के कमरों तक में घुसी जा रही हैं ।
पुलिस की इन कार्यवाहीयों को सत्ता की शाबाशी लूटने की कोशिश कहे या इसकी आड में भी एक नये कारोबार कि खोज या कुछ और, पर जो कुछ भी हो पुलिस की स्थिति से अलग कुछ लोगों के अनुसार वर्तमान योगी सरकार की ये कार्यवाही मौजूदा परिवेश में सरकार द्वारा वयस्कों की आजादी पर हमला कही जायें या किसी की निजी जिंदगी में दखल या उन सैकडों अन समझ लडकियों के भविष्य को बचाने का प्रयास जो कुछ भी कहिये, हाँ अक्सर कुछ एक लडकिया कुछ एक धूर्त लडकों के बहकावे में आकर, कमजोर पडकर अप्रिय घटनाओं का शिकार हो जाती हैं । कहीं कहीं कुछ नव युगल घर से कालिज के लिए जाते हैं फिर पायें पार्को में जाते हैं और सामाजिक दुष्प्रचार के कारण फिर बाद में पछताते हैं । जिस प्रकार कुछ एक स्थानों, पार्को एवं बहुरूपियों ने तो अपनी कुकृतज्ञता से ‘प्रेम’ जैसे सत्य भाव के करूणामयी शब्द जो त्याग, संयम, संवेदना जैसे आदि शब्दों से अंकुरित होने वाले मीरा, राधा जैसे अदभुत प्रेम के साथ-साथ पश्चिमी सभ्यता की पावन सत्य प्रेमकथा के पात्र रोमियों-जूलियट की प्रेम परिभाषा को ही बदल दिया हैं एवं ऐसे सभी किरदारों के साथ ‘भारतीय संस्कृति’ का भी उत्खनन कर दुष्प्रचारित किया हैं वो समाज और खास कर नव युगलों के लिए बेहद चिंतनीय हैं । शायद सरकार का ये अभियान इस प्रकार की घटनाओं को रोकने का एक कारगर प्रयोग हो । किन्तु हाँ इस सबके बीच विवाहित युगलों की अधिकारिक पुष्टि को गैर जरूरी समझते हुए उनकी निजता एवं प्रतिष्ठा का भी खास ख्याल रखा जायें और इस प्रकार के अकारण संदेह के चलते भी सभी नव युगलों को उनकी स्वतंत्रता, निजता और अधिकारों से भी उन्हें वंचित नहीं किया जाना चाहिए । लेकिन कानून की सख्ती से ही कानून का क्रियांव्यन संभव हैं और संस्कारों से समाज में सभ्यता की स्थापना और दोनों का समावेशी होना भी आवश्यक हैं । हाँ, इस प्रकार की कार्यवाहीयों के दौरान पुलिस को पूछताछ में सभी के आत्म सम्मान, मर्यादा का बोध होना भी आवश्यक है और इसकी कोई भी विडियो ग्राफी, रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए क्योंकि ये बिंदु किसी विज्ञापन का विषय नहीं बल्कि हम सभी के परिजनों से संबंधित एक संवेदनशील विषय हैं । जिससे कि ऐसे ना समझ नव युवतियों एवं युवकों एवं इनके परिजनों को भी असहज नहीं होना पडें और पुलिस समाज में आये दिन घटित होने वाले अति संवेदनशील आपराधिक मामलों के आरोपियों को पकडने आदि में अपना कर्तव्य बोध करें !
~ पं. विकास शर्मा (लेखक सामाजिक कार्यकर्ता एवं चिंतक हैं तथा स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं) +91-9837524788
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